English Hindi Dictionary | अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश
स्त्री० [सं० अक्षिन्, प्रा० अक्खि, गुं० आँख, सिं० अख, पं० अक्ख० का अछ, बँ० आँकि, सिंह० अक्] १. (क) प्राणियों की वह इंद्रिय जिससे उन्हें दूसरों जीवों और पदार्थों के आकार-प्रकार आयत-विरतार रूप-रंग भेद-विभेद,पारस्परिक दूरी आदि का ज्ञान होता है। देखने की इंद्रिय। चक्षु। नयन। नेत्र। (ख) उक्त इंद्रिय का कार्य और उसके द्वारा होनेवालापरिज्ञान जिसमें चीजें दिखाई देती है। देखने की क्रिया भाव या शक्ति। दृष्टि। निगाह। (ग) लाक्षणिक रूप में, मनोभाव व्यक्त या सूचित करनेवाली भंगिमा, रंग-ढंग, संचालन आदि के विचार से उक्त इंद्रिय या उसके द्वारा होनेवाला कार्य या व्यापार। विशेष—(क) स्तनपायी जीवों के सिर के सामने भाग में माथे या ललाट के नीचे और नाक के ऊपर दोनों ओर कुछ संबोतरी दो आँखे होती है। बीच का सारा काला भाग और उसके चारों ओर का सफेद भाग दोनों मिलकर डेरा कहलाते है। बड़े काले भाग को पुतली और उसके ठीक बीच की बिन्दी को तारा या तिल कहते है। प्रकाश की सहायता से तारे और पुतली पर बाहरी पदार्थों का जो प्रतिबिंब पड़ता है उसका परिज्ञान अदर के संवेदन सूत्रों के द्वारा मस्तिष्क को होता है। इसी को (चीज) दिखाई देना कहते है। डेले के ऊपर और नीचे चमड़े के जो आवरण या परतें होती है उन्हें पलकें कहते है और उन पलकों के आगे वाले बालों की पंक्ति बरौनी कहलाती है। निम्न कोटि के जीवों में आँखों की संख्या ४, ६ या ८ तक भी होती है। उनमें इनकी ऊपरी बनावट भी कुछ प्रकार की भिन्न होती है और वे शरीर के भिन्न-भिन्न भागों में स्थिर होती है। (ख) प्रयोग के क्षेत्र में कुछ अवस्थाओं में इस शब्द का केवल एकवचन में, कुछ अवस्थाओं में केवल बहुवचन में और कुछ अवस्थाओं में विकल्प से दोनों में से किसी वचन में व्यवहार होता है। मुहावरा—आँख आना=एक रोग जिसमें आँख लाल होती सूजती और दुखती है। आँख उठने या उठने आना=दे० ऊपर आँख आना (रोग)। (किसी ओर) आँख या आँखे उठना=दृष्टि या निगाह पड़ना। जैसे—जिधर आँख उठेगी उधर चल पड़ेगे। आँख उठाना=जिस समय आँखे बंद हो या नीचे की ओर झुकी हों, उस समय देखने के लिए आँखे खोलना या ऊपर करना। जैसे—दिन भर बाद अब बच्चे ने आँख उठाई है। (किसी चीज की ओर) आँख उठाना=प्राप्ति की इच्छा या लोभ-भरी दृष्टि से देखना। जैसे—यह लड़का दूसरे की खाने-पीने की चीजों की तरफ कभी आँख नहीं उठाता। (किसी व्यक्ति की ओर) आँख उठाना या उठाकर देखना=किसी को हानि पहुँचाने के उद्देश्य या विचार से उसकी ओर देखना। जैसे—हमारे रहते हुए कोई तुम्हीर तरफ आँख उठाकर नहीं देख सकता। (किसी व्यक्ति के सामने) आँख या आँखे उठाना=साहसपूर्वक किसी की ओर देखना। निगाह मिलाना। सामना करना। जैसे—उनकी मजाल नहीं कि वे मेरे सामने आँख उठाये। आँख या आँखे उलटना=बेहोश होने पर या मरने के समय आँखों की पुतलियों का कुछ ऊपर चढ़ जाना। (किसी के सामने) आँख या आँखें ऊँची करना—दे० ऊपर। (किसी के सामने) आँख उठाना=आँख या आँखें कडुआना—अधिक जागने धुँआ लगने या लगातार चक लगाकर देखते रहने से आँखों में जलन थकावट या दर्द होना। (किसी की) आँख या आँखों का काँटा बनना या होना—किसी की दृष्टि में बहुत ही अप्रिय या अवांछित होना। (आँखों में खटकना या गड़ना की अपेक्षा बहुत उग्र विरक्ति का सूचक) आँख या आँखों का काजल चुराना—ऐसी चालाकी या सफाई से तथा चोरी से अपना काम निकालना कि किसी को पता न चले। (अपनी) आँख या आँखों का तेल निकालना=निरंतर कोई ऐसा बारीक काम करते रहना कि आँखों से पानी निकलने लगे। आँख या आँखों का पानी ढलना—किसी की मर्यादा का ध्यान या लज्जाशीलता न रह जाना। निर्लज्ज हो जाना। जैसे—जब आँख का पानी ढल गया तब नंगे होकर नाच भी सकते हो। आँख किरकिराना=आँख में बालू आदि का कण पड़ने से उसमें कसक या खटक होना। आँख या आँखों के आगे अधेरा छाना=आघात निराशा भय शोक आदि के कारण आँखों और बुद्धि का ठीक तरह से काम न करना। सामने अँधेरा दिखाई देना। आँख या आँखों के सामने या आगे नाचना=मन में ध्यान बना रहने के कारण किसी व्यक्ति की आकृति य़ा घटना का दृष्य रहरहकर काल्पनिक रूप से सामने आना। आँख खटकना=आँख में कोई चीज पड़ने पर उसमें खटक होना। आँख किरकिराना। उदाहरण—देखो लला मेरी आँखन खटकै कौने तरह से रंग फेंकत हो री। (होली) आँख या आँखें खुलना=(क) नींद टूटना। जागना। (ख) लाक्षणिक रूप में अज्ञान प्रेम मोह आदि दूर होना और उसके फलस्वरूप वास्तविक रूप या स्थिति का ज्ञान होना। जैसे—उनकी आज की बातों से मेरी आँखें खुल गई। (किसी की) आँख या आँखें खोलना=ऐसा काम करना जिससे किसी का अज्ञान भ्रम या मोहदूर हो और उसे वास्तविकता का ज्ञान हो। आँख गड़ना=आँख में कोई चीज पड़ने या पलक में फुंसी सूजन आदि होने पर हलकी खटक चुनचुनाहट या पीड़ा होना। (किसी ओर या किसी चीज पर) आँख गड़ना=(क) ध्यानपूर्वक देखने के समय निगाह जमना। (ख) कोई चीज पाने के लिए उस पर ध्यान लगा रहना। जैसे—तुम्हारी कलम पर हमारी आँख गड़ी है। आँख या आँखे चमकाना, नचाना या मटकाना=स्त्रियों का (या स्त्रियों की तरह) भाव-भंगी प्रकट करने केलिए पलकें और पुतलियाँ चलाना या हिलाना। (किसी से) आँख या आँखें चुराना या छिपाना-लज्जा, संकोच आदि के कारण किसी का सामना करने से बचना या हिचकना। आँख चूकना=दृष्टि या ध्यान का कुछ समय के लिए नियत स्थान से हटकर इधर-उधर होना। जैसे—जरा-सी आँख चूकते ही वह पुस्तक उठा ले गया। (किसी से) आँख या आँखें छिपाना=दे० ऊपर। आँख या आँखें चुराना। (किसी चीज पर) आँख या आँखें जमाना=ध्यानपूर्वक देखने के समय निगाह जमाना। दृष्टि स्थिर होना। (किसी की) आँख जाना—आँख में देखने की शक्ति न रह जाना। जैसे—एक आँख तो गई अब दूसरी तो बचाओं। (किसी चीज या बात की ओर) आँख जाना=दृष्टि या निगाह पड़ना। आँख झपकना=(क) आंख पर की पलक गिरना। जैसे—आँख झपकते ही उसने कलम उठा ली। (ख) थोड़े समय के लिए नींद आना। झपकी आना। जैसे—आज राज भर आँख नहीं झपकी। आँख या आँखें झेपना=दोषी या लज्जित होने के कारण निगाह नीची करना या सामने न देखना। आँख या आँखें टोरना=लज्जा से आँखे या निगाह नीची करना। आँख या आँखें टेकना=दे० ऊपर। या आँखें उलटना आँख=(किसी ओर या किसी चीज पर) आँख डालना-दृष्टिपात करना। देखना। आँख या आँखे तरेरना=आखें इस प्रकार कुछ तिरछी करना कि उनसे क्रोध या रोष सूचित हो। आँख तले आना=(क) दिखाई देना। जैसे—अभी तक तो ऐसी पुस्तक हमारी आँख तले नहीं आई। (ख) देखने में अच्छा लगना। जँचना। उदाहरण—अब न आँख तर आवत कोऊ।—तुलसी। (किसी को) आँख या आँखें दिखाना=क्रोध के आवेश में होकर या डराने-धमकाने के लिए किसी की ओर उग्र दृष्टि से देखना। उदाहरण—बहुत भाँति तिन्ह आँख दिखाए।—तुलसी। आँख या आँखें दुकने आना=दे० ऊपर। आँख आना या उठना। (किसी बड़े की) आँख या आँखें देखे हुए होना=संगति या सामना करने का अनुभव या सौभाग्य होना। जैसे—हम भी बड़े-बड़े उस्तादों की आँखें देखे हुए हैं। आँख या आँखें दौड़ना—कुछ ढूढ़ने या देखने के लिए दूर तक दृष्टि या ध्यान ले जाना। जैसे—चारों ओर आँखें दौड़ाने पर भी कोई दिखाई न दिया। आँख न उठना=दे० नीचे। आँख न खोलना। आँख या आँखें न खोलना=रोगजन्य शिथिलता के कारण आँखें बन्द करके तंद्रा में पड़े रहना। जैसे—आज दिन भर बच्चे ने आँख नहीं खोली। आँख या आँखें नचाना=दे० ऊपर। आँख या आँखें चमकाना। (किसी पर) आँख न ठहरना=तीव्र गति, दीप्ति, विशेष शोभा आदि के कारण किसी चीज पर निगाह न जमना। (किसी की) आँख या आँखें निकालना=दंड़ स्वरूप अंधा करने के लिए किसी की आँखों के गोलक या डेले काटकर अलग करना। (किसी के सामने) आँख या आँखें निकालना=क्रोधपूर्वक आँखें तरेरकर या ला पीले होकर देखना। उदाहरण—आँखें निकालिएगा जरा देखभाल कर।—कोई शायर। (किसी के सामने) आँख या आँखे नीची होना=लज्जा संकोच आदि के कारण ऐसी स्थिति में होना कि सिर न उठ सके। जैसे—तुमने उनसे रुपये उधार लेकर सदा के लिए उनके सामने मेरी आँख नीची कर दी। आँख पटपटाना=आँख या देखने की शक्ति नष्ट होना। (किसी पर) आँख पडना=दृष्टि या निगाह पड़ना। दिखाई देना। आँख या आँके पथराना=(क) मरने के समय आँखों की चमक और पारदर्शिता नष्ट होने के कारण उनका कठेर और निश्चल होना। (ख) प्रतीक्षा आदि में टक लगाकर देखते रहने के कारण आँखें कठोर और निश्चल होना। आँख या आँखों पर पट्टी बँधना या परदा पड़ना=भ्रम, मोह आदि के कारण भले-बुरे या हानि लाभ का ठीक ठीक ज्ञान न हो सकना। जैसे—उस समय मेरी आँखों पर पट्टी बँधी थी। (या परदा पड़ा था) जिससे मैने तुम्हारे सदभाव का तिरस्कार किया था। आँख या आँखें पसीजना=अनुराग दया आदि के कारण आँखों में कुछ जल भर आना। आँखे आर्द्र होना। आँख फड़कना=पलक या भौंह के कुछ अंश का कुछ देर तक रह—रहकर फड़क उठना या हिलना जो उक्त अंग की एक क्षणिक प्राकृतिक क्रिया और सामुदिक के अनुसार शुभ या अशुभ फल की सूचक है। (किसी की ओर से) आँख या आँखे फिरना या फिर जाना=पहले का सा अनुराग कृपा या सद्व्यवहार न रह जाना। आँख फूटना=आघात रोग आदि के कारण आँख इस प्रकार बिगड़ जाना कि देखने की शक्ति नष्ट हो जाए। आँख पसारना या फैलाना=अच्छी तरह ध्यानपूर्वक देखना या देखने का प्रयत्न करना। जैसे—आँख पसारकर देखो घड़ी मेज पर ही रखी है। (किसी की ओर से) आँख या आँखे फेरना या फोड़ना=बहुत देर तक लगातार ऐसा बारीक या परिश्रम साध्य काम करते रहना जिसमें आँखों को बहुत कष्ट हो या उन पर बहुत जोर पड़े। जैसे—कसीदा काढ़ने या लेखों का संसोधन करने में आँख फोड़ना। (किसी की) आँख या आँखें फोड़ना=दंड देने के लिए आँखों पर आघात करके किसी को अंधा करना। आँख या आँखें बंद करके कुछ करना=बिना कुछ भी ध्यान दिये या सोचे-समझे कोई काम करना। (किसी ओर या बात से) आँखें बंद करना या मूँदना=अभिमान, अरुचि संकोच आदि के कारण जान-बूझकर किसी होते हुए काम या बात पर ध्यान न देना। जान-बूझकर अनजान बनना। (किसी की) आँख या आँखें बंद होना=जीवन का अंत या मृत्यु होना। जैसे—पिता की आँखें बंद होते ही लड़कों में मुकदमें बाजी होने लगी। (किसी की) आँख बचाकर कुछ करना=इस प्रकार चोरी से कोई काम करना कि किसी उद्दिष्ट व्यक्ति का ध्यान उधर न जाने पावे। (किसी की) आँख बचाना=ऐसे प्रयत्न में रहना कि किसी उद्दिष्ट व्यक्ति का सामना न हो। (किसी की) आँख बदलना=पहले का-सा कुछ अनुराग या सद्भाव न रह जाना। उदाहरण—चीन्हत नाहीं बदल गये नैना।—गीत। (किसी से) आँख या आँखें बदलना=कुछ क्रोध या शील-संकोच किसी की ओर देखना। जैसे—अपना रुपया लीजिए आँखे क्या बदलते हैं। आँख बनना=शल्यक्रिया के द्वारा मोतियाबिन्दु संबलबाई आदि रोगों की ऐसी चिकित्सा होना कि आँखे ठीक तरह से काम देने लगे। आँख बनवाना=शल्य द्वारा मोतियाबिंदु या इसी प्रकार का आँख का कोई और रोग अच्छा कराना। आँख बनाना=उक्त आँख बनना=का संकर्मक रूप। (किसी की आँख या आँखें बराबर करना या मिलाना=सामना होने पर अच्छी तरह किसी की ओर देखना। दृष्टि या निगाह मिलाना। आँख बिगड़ना=रोग या उसकी अनुपयुक्त चिकित्सा के कारण आँख का ऐसी स्थिति में होना कि वह ठीक या पूरा काम न दे सके। जैसे—चेचक होने (या तेजाब पड़ने) से उनकी आँख बिगड़ गई। (किसी के आगे) आँखे बिछाना=आगत व्यक्ति का बहुत अधिक आदर-सत्कार करना। आँख बैठना=रोग आदि के कारण देखने की शक्ति नष्ट हो जाना। आँख भरकर देखना=अच्छी तरह दृष्टि जमाकर या ध्यान से देखना। आँख भर देखना=कुछ समय तक अच्छी तरह ध्यान से इस प्रकार देखना कि मन को तृप्ति या शांति हो। जैसे—हम उन्हें आँख भरकर देखने भी न पाए और वे चले गये। आंख या आँखें मटकाना=दे ऊपर। आँख या आँखें चमकाना=आँख मारना या मिचकाना—पलक और पुतली हिलाकर कुछ संकेत करना। आँख या आँखें मूदना=(क) आँखें बंद करना जिससे कुछ दिखाई न पड़े। उदाहरण—मूँदहुँ आँख कतहुँ कछु नाहीं।—तुलसी। (ख) मर जाना। मृत्यु होना। जैसे—जहाँ उन्होंने आँखें मूदी, सब चौपट हो जायेगा। (किसी ओर या बात से) आँख या आँखें मूदना—दे० ऊपर। (किसी ओर या बात से) ‘आँखें बंद करना’। आँख या आँखों से खटकना या गड़ना=अनुराग के अभाव, दोष, द्वेष आदि के कारण अनुचित, अप्रिय या अवांछित जान पड़ना। (आँखों का काँटा होना’ या ‘आँखों में चुभना’ की अपेक्षा कुछ हलकी विरक्ति का सूचक) जैसे—अब तो उनकी हर बात हमारी आँखों में खटकने लगी है। आँख या आँखों में खून उतरना या उत्तर आना=(क) बहुत अधिक क्रोध के कारण आँखें बहुत लाल हो जाना (दूसरों के संबंध में) जैसे—उस समय उनकी आँखों में खून उतर आया। (ख) बहुत अधिक क्रोध या रोष होना (स्वयं वक्ता के पक्ष में) जैसे—उसकी पाशविकता देखकर मेरी आँखों में खून उतर आया। आँख या आँखों में घर करना=बहुत ही प्रिय या सुन्दर होने के कारण बराबर अकाल्पनिक रूप में आँखों के सामने या ध्यान में बना रहना। आँख या आँखों में चरबी छाना=इतना अभिमान होना कि सब चीजें या लोग तुच्छ या हीन जान पड़ें। आँखों में टेसू या सरसों फूलना =स्वयं प्रसन्न या सुखी रहने के कारण दूसरों के कष्ट या दुःख से बिलकुल अनभिज्ञ या उदासीन रहना। (किसी की) आँख या आँखों में धूल झोंकना=स्वार्थ-साधन के लिए किसी को बहुत बड़ा धोखा देना या भ्रम में डालना। जैसे—आँखों में धूल झोंककर वह दस रुपए की चीज के बीस रुपए ले गया। आँख या आँखों में फिरना =सामने न होने पर भी प्रायः प्रत्यक्ष-सा दिखाई देता रहना। जैसे—आँखों में फिरती है सूरत किसी की।—कोई शायर। आँख या आँखों में बसना =दे० ऊपर ‘आँखों में घर करना’। उदा०—बसो मेरे नैनन में नँदलाल।—गीत। आँखों में सरसों फूलना=दे० ऊपर ‘आँखों में टेसू फूलना।’ (किसी व्यक्ति पर) आँख रखना=किसी व्यक्ति की गतिविधि पर सतर्क रहकर दृष्टि या ध्यान रखना। (किसी ओर) आँख या आँखें लगाना =किसी की ओर दृष्टि या ध्यान जमाना या स्थिर होना। जैसे—किसी की प्रतीक्षा में दरवाजे पर आँख लगाना। (किसी की) आँख लगना=(क) थोड़े समय के लिए हलकी नींद आना। झपकी लगना। जैसे—दो दिन बाद आज भइया की जरा आँख लगी है। (किसी चीज पर) आँख लगना =श्रृंगारिक प्रसंग में, काम-वासना की तृप्ति के लिए किसी से प्रायः अनुरागपूर्ण देखा-देखी या सम्पर्क होना। (किसी से) आँख लड़ना =(क) अचानक या संयोग से देखा-देखी होना। जैसे—आँख लड़ते ही वह घूमकर गली में घुस गये। (ख) दे० ऊपर (किसी व्यक्ति से) ‘आँख लगना’। (किसी से) आँख या आँखें लड़ाना=श्रृंगारिक प्रसंग में, प्रायः रह-रहकर कुछ देर तक अनुरागपूर्वक एक-दूसरे को देखते रहना। आँख या आँखें लाल करना=क्रोध से भरकर इस प्रकार आँखें गड़ाकर देखना कि उनमें खून आया या भरा जान पड़े। आँख या आँखें सफेद होने को आना=इतनी अधिक प्रतीक्षा करना कि आँखें ज्योतिहीन हो जायँ और उनमें देखने की शक्ति न रह जाय। आँख या आँखें सेंकना=तृप्त होने या लालसा पूरी करने के लिए सुंदर रूप की ओर रह-रहकर देखना। आँख या आँखों से खून टपकना =(क) दे० ऊपर ‘आँखों में खून उतरना’। (ख) बहुत अधिक दुःख के कारण इस प्रकार आँसू निकलना कि मानों कलेजा फटने के कारण उसमें से खून टपक रहा हो। खून के आँसू रोना। (किसी की) आँख या आँखों से चिनगारियाँ छूटना=आँखों से बहुत अधिक क्रोध या रोष के लक्षण प्रकट होना। आँख या आँखों से नीर (या नील) ढलना=मरने के समय आँखों से अंतिम बार जल निकलना। आँख या आँखों से लगाना=कोई चीज मिलने पर उसके प्रति आदर या स्नेह दिखाने के लिए उसे आँखों से स्पर्श कराना। आँख होना =(क) कोई चीज पहचानने या कोई बात समझने की योग्यता या शक्ति होना। उदा०—भई तक आँखें दुख सागर कोई चाखैं, अब वही हमें राखें, भाखैं वारो धन माल हो।—प्रिया। (ख) किसी बात का अनुभव या परख होना। आँखें घुलाना=एक-दूसरे को रह-रहकर प्रेमपूर्वक बराबर देखते रहना। आँखें चढ़ना=(क) नशे के कारण आँखें लाल और भारी होना। (ख) अप्रसन्नता, क्रोध आदि के कारण भौंहें तनना। त्योरी चढ़ना। आँखें चार करना=किसी की दृष्टि से दृष्टि मिलाना। आमने-सामने होकर एक दूसरे को देखना। आँखें चार होना=किसी से देखा-देखी और सामना होना। आँखें ठंढी होना=किसी को देखने से परम प्रसन्नता या संतोष होना। आँखें डबडबाना=दुःख के कारण आँखों में आँसू भर आना। आँखें तरसना=किसी को देखने की अत्यंत अभिलाषा और उत्कंठा होना। आँखें फाड़कर देखना=अविश्वास अथवा आश्चर्य होने की दशा में अथवा कुछ ढूँढ़ने के लिए देखने की सारी शक्ति एकाग्र करके देखना। (किसी के लिए) आँखें बिछाना =बहुत अधिक आदर और प्रेमपूर्वक स्वागत करना। आँखें भर आना=दे० ऊपर ‘आँखों डबडबाना’। आँखों की सूइयाँ निकालना=किसी बहुत कठिन और बड़े काम का अंतिम और सहज अंश पूरा करके सारे काम का यश और श्रेय प्राप्त करना। (एक प्रसिद्ध कहानी के आधार पर) जैसे—अब सारा काम हो चुका, तब आप आँखों की सूइयाँ निकालने आये हैं। (किसी की) आँखों में आँखें डालना=जो इस ओर देख रहा हो, उसकी आँखों की ओर सारी शक्ति लगाकर प्रेमपूर्वक देखना। (किसी को) आँखों में पालना या रखना=सदा अपने साथ रखकर परम प्रेम से और बहुत ही यत्नपूर्वक पालन-पोषण करना। आँखों में रात काटना या बिताना=सारी रात जागकर बिताना। (किसी की) आँखों में मलाई फेरना=दंडस्वरूप अंधा करने के लिए लोहे की सलाई गरम करके उसे सुरमे की सलाई की तरह आँखों में लगाकर उन्हें जलाना। (किसी को) आँखों पर बैठाना=आये हुए व्यक्ति का बहुत अधिक आदर-सत्कार करना। फूटी आँख या आँखों न सुहाना=किसी अवस्था में भी अच्छा न लगना। बहुत ही अप्रिय जान पड़ना। पद—आँख का अंधा=वह जिसे कुछ भी ज्ञान न हो। परम मूढ़। आँख का तारा या तिल=आँख की पुतली=आँख का वह सारा काला भाग जिसके बीच में तारा या तिल होता है। आँखों के डोरे=आँखों में एक सिरे से दूसरे सिरे तक दिखाई देनेवाली लालधारियाँ जो सौंदर्य बढ़ानेवाली होती हैं। आँखें चरने हई हैं=आँखें या दृष्टि कुछ भी काम नहीं कर रही हैं ! (आश्चर्य-सूचक अथला व्यंग्यात्मक) जैसे—तुम्हारी आँखें तो चरने गई हैं; सामने रखी हुई चीज तुम्हें कैसे दिखाई दे। आँख वाला=(क) चतुर। होशियार। (ख) गुणग्राहक। पारखी। २. वह शक्ति जिससे मनुष्य अच्छी बातें समझकर उन्हें ग्रहण करता है। धारणा और विचार की शक्ति। जैसे—हिये की आँख। ३. किसी के संबंध में मन में होनेवाली धारणा, मत या विचार। दृष्टि। निगाह। जैसे—जनता की आँख या आँखों में अब वे बहुत गिर गये हैं। ४. गुणदोष आदि परखने की शक्ति। निगाह। परख। पहचान। जैसे—उन्हें कपड़े (या जवाहरात) की अच्छी आँख है। ५ वस्तु, व्यक्ति आदि पर रखा जानेवाला ठीक और पूरा ध्यान। सतर्कतापूर्ण दृष्टि। निगाह। जैसे—(क) इस लड़के पर आँख रखना; कुछ लेकर भाग न जाय। (ख) आज-कल उनपर पुलिस की आँख है। ६. प्राप्ति की इच्छा से होनेवाली लोभपूर्ण दृष्टि। जैसे—गठरी या बक्स पर चोर की आँख होना। ७. कृपापूर्ण दृष्टि। दयाभाव। जैसे—जब इन पर आपकी आँख है, तो यह भी कुछ हो जायेंगे। ८. आकार, रूप, स्थिति आदि के विचार से आँखों से मिलती-जुलती कोई चीज या बनावट। जैसे—अन्नास, आलू, या ऊख की आँख, मोर-पंख पर की आँख आदि। ९. आँख के आकार का कोई ऐसा छोटा छेद जिसमें कोई दूसरी चीज डाली या पहनाई जाती हो। जैसे—सूई की आँख (छेद या नाका)। (आई, उक्त सभी अर्थों के लिए
Meaning of आँख (Anakh) in English, What is the meaning of Anakh in English Dictionary. Pronunciation, synonyms, antonyms, sentence usage and definition of आँख . Anakh meaning, pronunciation, definition, synonyms and antonyms in English. आँख (Anakh) ka angrezi mein matalab arth aur proyog
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