English Hindi Dictionary | अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश
पुं० [सं० जीव] चित्त, मन, हृदय, विशेषतः इनका वह पक्ष या रूप जिसमें इच्छा, कामना, दुःख-सुख, प्रवृत्ति,संकल्प-विकल्प,साहस आदि का अवस्थान होता है। विशेष–‘जी’ हमारे शारीरिक अस्तित्व रुचि, विचार आदि सभी का प्रतिनिधित्व करता या प्रतीक होता है, और इसी लिए अनेक अवसरों पर कलेजा, चित्त, जान, मन, हृदय आदि से संबंध कुछ मुहावरे भी जी के साथ चलते और प्रायः उसी प्रकार के अर्थ देते हैं। जैसे–जी या मन का उदास या दुःखी होना, जी या मन फिर जाना, जी या चित्त चाहना, जी या मन करना या चाहना, जी या मन का बुखार निकालना आदि। पद–जी का=जीवटवाला। साहसी। हिम्मती। जी चला-मन चला (देखें) जी जानता है=हृदय ही अनुभव करता है कहा नहीं जा सकता है। जी से-चित्त या मन लगाकर पूरी तरह से ध्यान देते हुए। मुहावरा–जी अच्छा होना=शारीरिक आरोग्य के फल-स्वरूप चित्त शांत सुखी और स्वस्थ होना। (किसी व्यक्ति पर) जी आना= श्रृंगारिक दृष्टि से, मन में किसी के प्रति अनुराग या प्रेम उत्पन्न होना। जी उकताना या उचटना=किसी काम, बात या स्थान से प्रवृत्ति या मन हटना और विकलता या विरक्ति होना। जी काँपना=मन ही मन बहुत अधिक भय होना। जी उड़ जाना=आशंका भय आदि से चित्त सहसा व्यग्र हो जाना। धैर्य और होश-हवास जाता रहना। जी करना या चाहना=कुछ करने, पाने आदि की इच्छा या प्रवृत्ति होना। (किसी बात से) जी काँपना=बहुत अधिक दुर्भावना या भय होना। बहुत डर लगना। जी का बुखार निकालना=कुछ कठोर बातें कहकर मन में दबा हुआ कष्ट या संताप दूर या हल्का करना। जी का बोझ हल्का होना=इच्छा पूरी होने, खटका या चिंता दूर होने आदि पर निश्चित और स्वस्थ होना। जी की जी में रहना=अभिलाषा, कामना अथवा ऐसी ही और कोई बात पूरी न होना और मन में ही रह जाना। जी की निकालना=(क) मन में दबी हुई कटु या कठोर बात मुँह से कहकर जी हल्का करना। (ख) जी की उमंग, वासना या हौसला पूरा करना। जी की पड़ना=प्राण बचाना कठिन हो जाना। (किसी के) जी को जी समझना=दूसरे को क्लेश न पहुँचाना दूसरों पर दया करना। जी को मार कर रखना=प्रवृत्ति, वासना आदि को दबा या रोककर रखना। (कोई बात) जी को लगना=(क) चिंता आदि का मन में घर करना या स्थायी होना। (ख) मन पर पूरा प्रभाव डालना। जैसे–उनकी बात हमारे जी में लग गई। (किसी के) जी को लगना=किसी के पीछे पड़ना। किसी को सुख से न रहने देना। जैसे–यह लड़का तो खिलौने के लिए जी को लग जाता है। जी खटकना=मन में कुछ आशंका या खटका होना। (किसी से) जी खट्टा होना=किसी की ओर से (कष्ट पहुँचने पर) चित्त या मन में विरक्ति उत्पन्न होना। जी खपाना=बहुत अधिक परिश्रम या सिर पच्ची करना। जी खरा-खोटा होना=मन कभी स्थिर और कभी चंचल होना। यह निशान न कर पाना कि अमुक अच्छा काम करे या अमुक बुरा काम। जी खोलकर=(क) खूब अच्छी या पूरी तरह से और शुद्ध हृदय से। यथेच्छ। जैसे–जी खोलकर दान देना या बातें करना। जी गिरा जाना=जी बैठा जाना। जी घबराना=मन में विकलता, व्यग्रता आदि उत्पन्न होना। (किसी चीज पर) जी चलना=कुछ पाने या लेने की इच्छा या प्रवृत्ति होना। जी चाहना=इच्छा या कामना होना। जी चुराना=कोई काम करने से बचने के लिए इधर-उधर हटना या होना। जी छूटना=(क) मन में उत्साह, साहस आदि न रह जाना। (ख) पिंड या पीछा छूटना। छुटकारा मिलना। जैसे–चलो इस झगडे से तो जी छूटा। जी छोटा करना= (क) निराश या विफल होने पर उदास या खिन्न होना। (ख) उदारता के भावों से रहित या संकीर्णता के विचारों से युक्त होना। जी छोड़ना=हृदय की दृढ़ता या साहस खोना। हिम्मत हारना। जी छोड़कर भागना=अपने बचाव या रक्षा के लिए पूरी शक्ति से दूर निकल जाने का प्रयत्न करना। जी जलना=चित्त बहुत ही दुःखी या संतप्त होना। मन में बहुत अधिक कष्ट या संताप होना। (किसी का) जी जलाना=किसी को बहुत अधिक दुःखी और संतप्त करना। मुहावरा–(किसी काम में) जी जान लड़ाना या जी जान से लगना= किसी कार्य या प्रयत्न में अपनी सारी शक्ति लगा देना। (कोई काम या बात) जी जान को या जी जान से लगना=किसी काम या बात की इतनी अधिक चिंता होना कि हर समय उसका ध्यान बना रहे या उसकी सिद्धि का प्रयत्न होता रहे। (किसी ओर जी टँगा या लगा रहना=हर समय चिंता बनी रहना और ध्यान लगा रहना। जी टूट जाना=उत्साह भंग हो जाना। नैराश्य होना। जी ठंडा होना=अभिलाषा पूरी होने से चिंत शांत और संतुष्ट होना। प्रसन्नता होना। (किसी में) जी डालना=(क) मृत शरीर में प्राणों का संचार करना। (ख) किसी के मन में आशा उत्साह, बल आदि का संचार करना। (किसी के) जी में जी डालना= प्रेम, सौहार्द आदि दिखाकर किसी को अपनी ओर अनुरक्त करना। जी डूबना या ढहा जाना=चिंता, निराशा, व्याकुलता आदि के कारण बहुत ही शिथिल और हतोत्साह होना। जी दहलाना=मन में कुछ भय का संचार होना। जी दुखना=मन में कष्ट या दुःख होना। (किसी के लिए) जी देना=किसी पर जीवन या प्राण निछावर करना। जी दौड़ना= कुछ करने या पाने के लिए मन का प्रवृत्त होना। जी धँसा जाना=दे० ‘जी बैठा जाना।’ जी धक-धक करना या धड़कना=भय या आशंका से चित्त का स्थिर न रहना और उसमें धड़कन होना। जी निकलना=प्राणों के निकलने की सी अनुभूति या कष्ट होना। (व्यंग्य) जैसे–रुपया खरच करते हुए तो इनका जी निकलता है। जी निढाल होना=दुःख चिंता शिथिलता आदि के कारण चित्त ठिकाने न रहना। (किसी से) जी पर जाना=बहुत दुःखी या संप्तत होने के कारण बहुत अधिक उदासीनता या विरक्ति हो जाना। जी पकड़ा जाना= खुटका, विपत्ति आदि सुन या संभावना देखकर मन में बहुत चिंता या विकलता होना। जी पर आ बनना=किसी घटना या बात के कारण ऐसी स्थिति होना कि प्राणों पर संकट आ जाय और फलतः सुख शान्ति का अंत हो जाय। जी पर खेलना=कोई विकट काम पूरा करने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देना। अपना जीवन संकट में डालना। (किसी से) जी फट जाना=किसी से बहुत दुःखी होने के कारण पूरी तरह से विरक्त हो जाना। (किसी की ओर से) जी फिर जाना=चित्त का उदासीन, खिन्न और विरक्त हो जाना। (किसी से) जी फीका होना=किसी के साथ होनेवाले व्यवहार या संबंध में पहले की सी सरसता न रह जाना। जी बाँटना=(क) मन लगाकर कोई करते रहने की दशा में किसी बाधा के कारण चित्त या ध्यान इधर-उधर होना। (ख) दे० ‘जी बहलना।’ (किसी ओर अपना) जी बढ़ाना=अपना ध्यान, मन या विचार किसी ओर प्रवृत्त करना। (किसी का) जी बढ़ाना= प्रोत्साहित करना। बढ़ावा देना। जी बहलना=ऐसा काम या बात करना जिससे खिन्न चिंतित या दुःखी मन कुछ समय के लिए प्रसन्न हो और खेद, चिंता या दुःख न रह जाय अथवा कम हो जाय। जी बिगड़ना या बुरा होना=(क) उदासीनता खिन्नता या विरक्ति होना। (ख) कै या उलटी करने को जी चाहना। मिचली होना। (ग) मन में कोई अनुचित या बुरा भाव उत्पन्न होना। जी बैठा जाना=आशंका, चिंता, दुर्बलता आदि के कारण मन आंतरिक शक्ति या साहस का बहुत ही क्षीण होने लगना। जी भर आना=करूणा आदि के कारण मन का दरिद्र होना। जी भरकर=जितना जी चाहे उतना। मनमाना। यथेष्ट। (किसी काम, चीज या बात की ओर से) जी भर जाना=(क) कटु अनुभव होने के कारण प्रवृत्ति न रह जाना। (ख) भोग आदि की अधिकता के कारण मन में पहले का सा अनुराग या उत्साह न रह जाना। (अपना जी) भरना=संदेह आदि दूर करके आश्वस्त, निश्चित या संतुष्ट होना। (किसी का) जी भरना=किसी की शंका संदेह आदि दूर करके उसका पूरा समाधान करना। जी भारी होना=रोग आदि के आगमन से कुछ पहले मन में अस्वस्थता का बोध होना। जी भिटकना=घृणा का अनुभव होने के कारण मन में विरक्ति होना। जी मलमलाना=विवशता की दशा में मन में खेद और पछतावा होना। जी मारना= कामना, वासना आदि का दमन करना। जी मिचलना या मितलाना=उलटी या कै करने की इच्छा या प्रवृत्ति होना। (किसी से) जी मिलना=प्रवृत्ति व्यवहार आदि की अनुकूलता दिखाई देने पर परस्पर प्रीति और सद्भाव उत्पन्न होना। जी में आना=किसी काम या बात की इच्छा कामना या प्रवृत्ति होना। जैसे–जो हमारे जी में आयेगा, वह हम करेगें। जी में चुभना, गड़ना या घर करना=बहुत ही प्रिय और सुखद होने के कारण मन में अपने लिए विशिष्ट स्थान बनाना। जी में जी आना=चिंता भय आदि का कारण दूर होने पर मन निश्चित और सांत होना। जी में डालना=चिंता, भय आदि का कारण दूर करके आश्वस्त और निश्चित करना। (कोई बात) जी में धरना=किसी बात या विचार को अपने मन में स्थान देना और उसके अनुसार आचरण करने का निश्चय करना। (कोई बात) जी में बैठना=बिलकुल उचित या ठीक जान पड़ना। मन पर पूरा प्रभाव होना। (कोई बात) जी में रखना=अपने मन में छिपा या दबाकर रखना। जल्दी किसी पर प्रकट न होने देना। (किसी का) जी रखना=इसलिए किसी का अनुरोध या आग्रह मान लेना कि वह अपने मन मे दुःखी या हताश न हो। (किसी काम में) जीन लगना=अनुकूल, रूचिकर आदि जान पड़ने के कारण यथेष्ट रूप से तत्पर या संलग्न होना। काम में अच्छी तरह चित्त लगाना। (किसी व्यक्ति से) जी लगना=अनुराग या प्रेम होना। (किसी ओर) जी लगा रहना=चिंता आदि के कारण बराबर ध्यान लगा रहना। जी लरजना=दे० जी काँपना। जी ललचाना=कुछ पाने के लिए मन में बहुत अधिक लालच या लोभ होना। (किसी का) जी लुभाना=किसी को मोहित करके अपनी ओर आकृष्ट करना। (किसी का) जी लेना=(क) बातों ही बातों में किसी की इच्छा, प्रवृत्ति या विचार का पता लगाने का प्रयत्न करना। (ख) जीवन या प्राण लेना। जी सन्न होना=बहुत अधिक घबराहट, चिंता आदि के कारण स्तब्ध हो जाना। जी से उतर जाना=कटु अनुभव होने या दोष आदि दिखाई देने पर किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति होनेवाला अनुराग नष्ट हो जाना। जी से जाना=जीवन या प्राण गँवाना। मरना। (किसी व्यक्ति या वस्तु से) जी हट जाना=पहले का सा अनुराग या प्रवृत्ति न रह जाने के कारण उदासीनता या विरक्ति होना जी हवा हो जाना=भय या आशंका आदि के कारण चित्त ठिकाने न रह जाना। होश-हवास गुम हो जाना। (किसी का) जी हाथ में करना, रखना या लेना=किसी को अपने अनुकूल वश में करना या रखना। जी हारना=उत्साह साहस आदि से रहित या दीन हो जाना। हिम्मत हारना। जी हिलना=(क) मन में करूणा, दया आदि का आविर्भाव होना। (ख) दे.जी दहलना। जी ही में जी जलना=ईर्ष्या,क्रोध,दुर्भाव आदि के कारण मन ही मन बहुत दुःखी होना। अव्य १. धार्मिक स्थानों मान्य व्यक्तियों आदि के अल्लों और नामों के पीछे लगनेवाला आदर सूचक अव्यय। जैसे–गया जी, गाँधी जी,शुक्ल जी आदि। २. किसी के द्वारा बुलाये जाने पर उत्तर में कहा जानेवाला एक आदर-सूचक शब्द। जैसे–जी शहर जा रहा हूँ। ३. किसी मान्य व्यक्ति के आदेश,कथन आदि के उत्तर में सहमति,स्वीकृति आदि जतलाने वाला अव्यय। जैसे–जी ऐसी ही होगा
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