English Hindi Dictionary | अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश
वि० [सं०√ध्रु (स्थिर होना)+क] [भाव० ध्रुवता] १. सदा एक स्थान पर अथवा ज्यों का त्यों बना रहनेवाला। अचल। अटल। २. सदा एक ही अवस्था या रूप में बना रहनेवाला। नित्य। शाश्वत। ३. जिसमें किसी प्रकार का अंतर न पड़ सके या परिवर्तन न हो सके। बिलकुल निश्चिंत और दृढ़ या पक्का। पुं० १. आकाश। २. शंकु। ३. पर्वत। ४. खंभा। ५. वट वृक्ष। ६. आठ वसुओं में से एक। ७. विष्णु। ८. ध्रुपद नामक गीत। ९. नाक का अगला भाग। १॰..फलित ज्योतिष में एक प्रकार का शुभ योग, जिसमें जन्म लेनेवाला बालक ज्योतिषियों के मत से बहुत ही बुद्धिमान, विद्वान् और यशस्वी होता है। ११. भूगोल में पृथ्वी के वे दोनों नुकीले सिरे जिनके बीच की सीधी रेखा अक्ष-रेखा कहलाती है। विशेष—ये दोनों सिरे उत्तरी ध्रुव या सुमेरु और दक्षिणी ध्रुव या कुमेरु कहलाते हैं। इन ध्रुवों के आस-पास के प्रदेश बहुत अधिक ठंढे हैं। जब सूर्य उत्तरायण होता है तब उत्तरी ध्रुव में छः महीने तक दिन रहता है, और दक्षिणी ध्रुव में रात रहती है। सूर्य के दक्षिणायन होने पर दक्षिणी ध्रुव में छः महीने तक दिन रहता है; और उत्तरी ध्रुव में रात होती है। १२. एक प्रसिद्ध तारा जो सदा उत्तरी ध्रुव या सुमेरु के ठीक ऊपर रहता है। विशेष—वास्तव में यह तारा शिंशुमार नामक तारकपुंज के सातों तारों में से एक है। इस तारक-पुंज का जो तारा पृथ्वी के अक्ष-विन्दु की सीध से परम निकट होता है। वही पृथ्वी के निवासियों की दृष्टि में ध्रुव (अर्थात अचल और अटल) होता है। परंतु ज्योतिषियों का कहना है कि अयन वृत के चारों ओर नाड़ी मंडल के मेरु की जो गति होती है उसके फलस्वरूप बारह हजार वर्ष बीतने पर आज-कल का ध्रुव तारा मेरु की सीध से दूर हट जायगा और तब शिंशुमार तारक-पुंज का अभिजित् नामक दूसरा तारा हम लोगों का ध्रुव तारा हो जायगा। आज-कल हमारे मेरु से वर्तमान ध्रुव का व्यवधान-अंतर केवल १ अंश ३ कला है; पर आज से दो हजार वर्ष पहले यह अंतर १२ अंश था। इसी आधार पर यह पता चलता है कि आज से 5 हजार वर्ष पहले कोई दूसरा तारा हमारा ध्रुव था। यह भी कहा जाता है कि उत्तरी ध्रुव तारे की तरह एक दक्षिणी ध्रुव तारा भी है जो कुमेरू की ठीक सीध में है। १३. पुराणानुसार राजा उत्तानपाद के एक पुत्र, जो उनकी सुनीति नामक पत्नी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। विशेष—कहते हैं कि इनकी एक विमाता भी थी, जिसका नाम सुरुचि था; और जिसके पुत्र का नाम उत्तम था। एक दिन जब उत्तम अपने पिता की गोद में बैठ खेल रहा था तब ध्रुव भी पिता की गोद में जा बैठा। इस पर सुरुचि ने अवज्ञापूर्वक ध्रुव को वहाँ से हटा दिया। इससे खिन्न होकर ध्रुव घर से निकल गये और वन में जाकर तपस्या करने लगे। विष्णु ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इन्हें वरदान दिया था कि तुम सब ग्रह-नक्षत्रों तथा लोकों के ऊपर और उनके आधार बनकर एक जगह अचल भाव से रहोगे और तुम्हारे रहने का स्थान ध्रुवलोक कहलायेगा। तभी से पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के ऊपर ये ध्रुव तारे के रूप में अचल और अटल भाव से स्थित हैं। १४. फलित ज्योतिष में नक्षत्रों का एक गण, जिसमें उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तरभाद्रपद और रोहिणी नामक नक्षत्र है। १५. सोम रस का वह भाग जो सबेरे से सन्ध्या तक किसी देवता को अर्पित हुए बिना यों ही पड़ा रहे। १६. एक प्रकार का यज्ञ-पात्र। १७. मुँह का एक रोग, जिसमें तालू में पीड़ा, लाली और सूजन होती है। १८. छंदशास्त्र में, रगण का अठारहवाँ भेद, जिसमें पहले एक लघु, तब एक गुरु और तब फिर तीन लघु होते हैं। १९. घोड़ों के शरीर के कुछ विशिष्ट स्थानों के होनेवाली भौंरी या चक्र। दे० ‘ध्रुवावर्त्त’
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