English Hindi Dictionary | अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश
पुं० [सं० पद+दंड; प्रा० पयदंड; अप० पयँड़] १. प्राणियों के शरीर का वह अंग या अवयव जिस पर खड़े होने की दशा में शरीर का सारा भार रहता है और जिससे वे चलते-फिरते हैं। पाँव। चरण। पद—पैर (या पैरों) की आहट=परोक्ष में किसी के आने या चलने से होनेवाली हलकी पद-ध्वनि या शब्द। जैसे—बगलवाले कमरे में किसी के चलने की आहट सुनकर मैं सचेत हो गया। पैर की जूती=बहुत ही तुच्छ और हीन वस्तु या व्यक्ति। मुहा०—पैर उखड़ना या उखड़ जाना=प्रतियोगिता, लड़ाई आदि में सामना करने की शक्ति या साहस न रह जाने पर पीछे हटना या भागना। (किसी के) पैर उखाड़ना=प्रतियोगिता, युद्ध विरोध आदि में इतनी दृढ़ता या वीरता दिखलाना कि विरोधी या शत्रु सामने ठहर न सकें और पीछे हटने लगे। पैर उठाना=दे० नीचे ‘पैर बढ़ाना’। पैर काँपना या थरथराना=आशंका, दुर्बलता, भय आदि के कारण खड़े रहने या चलने की शक्ति अथवा साहस न होना। (स्त्री के) पैर छूटना=मासिक धर्म अधिक होना। बहुत रजःस्राव होना। (किसी के) पैर छूना=दे० ‘पाँव’ के अन्तर्गत ‘पाँव छूना या लगाना’। (किसी जगह) पैर जमाना=(क) दृढ़ता पूर्वक स्थिर भाव से खड़े होने या ठहरने में समर्थ होना। (ख) अपने स्थान पर इस प्रकार दृढ़तापूर्वक अड़े या ठहरे रहना कि सहसा विचलित होने या हटने की नौबत न आए। (किसी जगह) पैर जमाना=कहीं पहुँचकर वहाँ अपनी स्थिति दृढ़ करना। (किसी जगह) पैर टिकना=(क) कहीं खड़े होने के लिए आधार या आश्रय मिलना। (ख) कहीं कुछ समय तक स्थायी रूप या स्थिर भाव से अवस्थित रहना या होना। जैसे—बरसों से वह इधर-उधर मारा फिरता था, पर अब दिल्ली में उसके पैर टिक गये हैं। पैर डगमगाना या डिगना=खड़े रहने या चलनें में पैरों का ठीक स्थिति में न रहना और काँपना या विचलित होना। (ख) प्रतिज्ञा, प्रयत्न आदि में ठीक रास्ते से कुछ इधर-उधर या विचलित होना। पैर (पैरों) तले से जमीन खिसकना या निकलना=होश-हवास गायब होना। (अपने) पर तोड़ना=(क) बहुत अधिक चल-फिरकर थकना। (ख) किसी काम के लिए बहुत अधिक दौड़-धूप करना। (किसी के) पैर तोड़ना=किसी को चलने-फिरने या कुछ करने-धरने में असमर्थ करना। पैर दबाना=किसी की सेवा-टहल करना या थकावट दूर करने के लिए पैर दबाना। पैर दबाकर चलना=इस प्रकार चलना कि आहट तक न हो। पैर धुनना=खिजलाकर पैर काटना। पैर न उठना=आगे चलने या बढ़ने की प्रवृत्ति या साहस न होना। जैसे—माधव के घर जाने के लिए उसके पैर ही न उठते थे। (जमीन या धरती पर) पैर न रखना=(क) बहुत अधिक घमंड के कारण साधारण आचार-व्यवहार छोड़कर बहुत बड़े आदमी होने का ढोंग करना। (ख) बहुत अधिक प्रसन्नता के कारण सब सुध-बुध भूल जाना। फूले अंगों न समाना। (किसी के) पैर न होना=कोई ऐसा आधार या बल न होना जिससे दृढ़तापूर्वक कहीं टिकने या ठहरने का साहस हो सके। जैसे—चोर (या झूठे) के पैर नहीं होते। (किसी का) पैर निकालना=(क) घूमने-फिरने या सैर-सपाटे की आदत पड़ना। (ख) बुरे कामों की ओर उन्मुख होना। (किसी के) पैर पकड़ना=दे० ‘पाँव’ के अन्तर्गत ‘पाँव धरना या पकड़ना’। (किसी के) पैर (या पैरों) पड़ना=(क) झुककर नमस्कार या प्रणाम करना। (ख) दीनतापूर्वक आग्रह या विनती करना। पैर पसार देना=(क) बहुत ही शिथिल या हतोत्साह होकर चुपचाप पड़ या बैठे रहना। दौड़-धूप या प्रयत्न छोड़ देना। (ख) शरीर छोड़कर परलोक सिधारना। मर जाना। पैर पसारना=दे० नीचे ‘पैर फैलाना’। पैर फैलना=दे० ‘पाँव’ के अन्तर्गत ‘पाँव पूजना’। पैर फैलाना=(क) विश्राम करने के लिए सुखपूर्वक पैर पसार कर लेटना। (ख) कुछ अधिक पाने या लेने के लिए विशेष आग्रह या हठ करना। (ग) आडंबर खड़ा करना। ठाट-बाट बढ़ाना। (घ) अपनी शक्ति या सामर्थ्य देखते हुए कोई काम करना। पैर बढ़ाना=चलने के समय, देर हो जाने के भय से, जल्दी-जल्दी आगे पैर रखना। जल्दी जल्दी डग भरते हुए चाल तेज करना। पैर भरना या भर जाना=बहुत अधिक चलने के कारण थकावट से पैरों में बोझ सा बँधा हुआ जान पड़ना। अधिक चलने की शक्ति या सामर्थ्य न रह जाना। (स्त्री का) पैर भारी होना=गर्भवती होना। हमल रहना। विशेष—गर्भवती होने की दशा में स्त्रियाँ अधिक चलने-फिरने के योग्य नहीं रह जातीं। इसी आधार पर यह मुहावरा बना है। मुहा०—(किसी को) पैर में (या से) बाँधकर रखना=सदा अपने पास या साथ रखना। जल्दी अलग या दूर न होने देना। (किसी रास्ते पर) पैर रखना=किसी ओर अग्रसर या प्रवृत्त होना। जैसे—जब से तुमने इस बुरे रास्ते पर पैर रखा है, तब से तुम सबकी नजरों से गिर गये हो। पैर सो जाना=किसी विशिष्ट स्थिति में देर तक पड़े रहने के कारण पैरों में का रक्त-संचार रुकना और उसके फलस्वरूप कुछ देर के लिए पैर सुन्न हो जाना। पैरों चलना=पैदल चलना। पैरों तले की जमीन (धरती या मिट्टी) निकल जाना=कोई बहुत ही भीषण या विकट बात सुनकर स्तब्ध या सन्न हो जाना ? (किसी के) पैरों पर सिर रखना=(क) पैरों पर सिर रखकर प्रणाम करना। (ख) प्रार्थना या विनती स्वीकृत कराने के लिए बहुत ही दीन भाव से आग्रह करना। फूँक-फूँक कर पैर रखना=बहुत ही सचेत या सावधान रहकर किसी काम में आगे बढ़ना। बहुत सँभलकर कोई काम करना। विशेष—‘पाँव’ और ‘पैर’ के प्रयोगों और मुहावरों से संबंध रखनेवाली कुछ विशिष्ट बातों और ‘पैर’ के शेष मुहा० के लिए दे० ‘पाँव’ और उसके विशेष तथा उसके मुहा०। २. धूल आदि पर पड़ा हुआ पैर का चिह्न। पैर का निशान। जैसे—बालू पर पड़े हुए पैर देखते चले जाओ। पुं० [हिं० पया, पयार] १. वह स्थान जहाँ खेत से कटकर फसल दाने झाड़ने के लिए फैलाई जाती है। खलिहान। २. खेत से काटकर लाये हुए डंठल सहित अनाज का अटाला, ढेर या राशि। ३. किसी चीज का ढेर या राशि। पुं०=प्रदर (रोग)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है
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