English Hindi Dictionary | अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश
पुं० [सं० हस्त, प्रा० हत्थ] १. मनुष्य के शरीर में कंधे से उँगलियों तक का वह अंग, जिससे अधिकतर काम किये जाते हैं और चीजें खाई, पकड़ी या ली-दी जाती हैं। कर। हस्त। विशेष—(क) वानर जाति के प्राणियों में उनके अगले दोनों पैर और पक्षियों में उनके दोनों पैर ही मनुष्य के हाथों का बहुत कुछ काम देते हैं। (ख) मनुष्यों के संबंध में यह अंग उनकी क्रियाशीलता या कर्मठता, अधिकार या वश, उदारता, कृपणता, चतुरता, दक्षता आदि का भी सूचक होता है। आज-कल अँगरेजी के अनुकरण पर यह शब्द काम करनेवाले व्यक्तियों का भी वाचक हो गया है। पद—हाथ का चक्का=जो ठीक तरह से या दक्षतापूर्वक काम न कर सकता हो। हाथ का झूठा=चोर, धोखेबाज या बेईमान। हाथ का दिया=जो दान के रूप में या परोपकार के लिए दिया गया हो। हाथ का सच्चा=(क) जो लेन-देन आदि में किसी प्रकार का छल या बेईमानी न करता हो। (ख) जिसका आघात, युक्ति या वार ठीक और पूरा काम करता हो। हाथ या पैर की मैल=बहुत ही तुच्छ पदार्थ या वस्तु। जैसे—रुपया-पैसा तो उनके लिए हाथ-पैर की मैल है। हाथ से=द्वारा। मारफत। जैसे—उसी के हाथ से तो किताबें भी भेजी थीं। हाथों-हाथ से। हाथों हाथ=(क) एक के हाथों से दूसरे के हाथों में होते हुए। जैसे—बात की बात में सारा सामान हाथों-हाथ उठकर दूसरे मकान में चला गया। (ख) तत्काल। तुरन्त। जैसे—यहाँ तो माल आते ही हाथों-हाथ बिक जाता है। रँगे हाथ (या हाथों)=कोई अपराध करते समय उसके प्रमाण के साथ। जैसे—खूनी (या चोर) रँगे हाथों पकड़ा गया। लगे हाथ (या हत्थों)=(क) जिस समय कोई काम हो रहा हो, उसी समय और उसके साथ ही साथ। जैसे—जब आप संशोधन कर ही रहे हैं, तब लगे हाथ इस कविता का भी संशोधन कर दीजिए। (ख) सात ही साथ। उदा०—पनघट पे जो अपनी कभी असवारी गई है। तो वाँ भी लगे हाथ यही ख्वारी गई है।—नजीर। मुहा०—(कोई चीज) हाथ आना=प्राप्त होना। मिलना। उदा०—जलाकर हिज्र ने मारा, कजा के हाथ क्या आया ?—कोई शायर। हाथ उठाकर कोसना=ईश्वर से यह प्रार्थना करते हुए कोसना कि हमारा शाप पूरा हो। (किसी को) हाथ उठाकर देना=अपनी इच्छा, उदारता या प्रसन्नता से किसी को कुछ देना। जैसे—हमें तो तुम जो कुछ हाथ उठाकर दे दोगे, वही हम खुशी से ले लेंगे। (किसी काम या बात से) हाथ उठाना=अलग या दूर होना। बाज आना। उदा०—हम हाथ उठा बैठे दुआओं के असर से।—कोई शायर। (किसी को) हाथ उठाता=अभिवादन, नमस्ते या सलाम करना। जैसे—वे जिधर जाते थे, उधर सब लोग हाथ उठाते थे। (किसी पर) हाथ उठाना=किसी को मारना, पीटना या किसी प्रकार का आघात करना। हाथ ऊँचा होना=दान, व्यय आदि के लिए मन में सदा उदारता का भाव रखना। (किसी के आगे) हाथ जोड़ना=दे० नीचे ‘गाथ पसारना या फैलाना’। हाथ कटना या कट जाना=(क) प्रतिज्ञा, लेख्य आदि से इस प्रकार बद्ध हो जाना कि उसके विपरीत कुछ किया न जा सके। (ख) साधन, सहायक आदि से रहित हो जाना। जैसे—भाई के मरने से उनके हाथ कट गये। हाथ के नीचे या हाथ-तले आना=अधिकार या वश में आना। चंगुल में फँसना। जैसे—जब वह तुम्हारे हाथ के नीचे आ ही गया, जब कहाँ जा सकता है ! हाथ खाली जाना=प्रहार या वार का ठीक लक्ष्य पर न बैठना। हाथ खाली होना=(क) व्यय करने के लिए कुछ भी पास न होना। (ख) करने के लिए कोई काम हाथ में न होना। (किसी काम या बात से) हाथ खींचना=कोई काम करते करते सहसा उससे अलग या दूर होना, अथवा उसमें त्रुटि या शिथिलता करने लगना। हाथ खुजलाना=(क) किसी को मारने को जी करना। (ख) आर्थिक प्राप्ति या लाभ का योग या लक्षण दिखाई देना। हाथ खुलना=किसी में मारने-पीटने की प्रवृत्ति का अरंभ होना। जैसे—इसी तरह अगर उसका हाथ खुल गया, तो वह तुम्हें रोज मारने लगेगा। हाथ खुला होना=दान, व्यय आदि के संबंध में उदार प्रवृत्ति होना। जैसे—उनका हाथ खुला था, इसलिए थोड़ी ही दिनों में सारी पूँजी खत्म हो गई। हाथ गरम होना=किसी प्रकार की आर्थिक प्राप्ति या लाभ होना। हाथ चलना=(क) किसी काम में हाथ का हिलना-डोलना। (ख) मारने के लिए हाथ उठाना। (ग) व्यय आदि के लिए उचित या यथेष्ट आय अथवा प्राप्ति होना। (किसी के) हाथ चूमना=किसी की कला, निपुणता आदि पर मुग्ध होकर उसके हाथों का भरपूर आदर या सम्मान करना। जैसे—इस चित्र को देखकर जी चाहता है कि चित्रकार के हाथ चूम लूँ। हाथ छूटना=किसी को मारने के लिए हाथ उठना। (किसी पर) हाथ छोड़ना= मारना-पीटना। प्रहार करना। (किसी काम में) हाथ जमना, बैठना, मँजना या सधना=कोई काम करने का ठीक और पूरा अभ्यास होना। (किसी को) हाथ जोड़ना=(क) अभिवादन, नमस्कार या प्रणाम करना। (ख) किसी प्रकार का अनुग्रह या कृपा प्राप्त करने के लिए अनुनय-विनय करना। (दूर से) हाथ जोड़ना=बिलकुल अलग या दूर रहना। किसी प्रकार का संपर्क या संबंध न रखना। हाथ झाड़कर खड़े हो जाना=खाली हाथ दिखा देना। कह देना कि मेरे पास कुछ नहीं है या मुझसे कुछ नहीं हो सकता। जैसे—तुम्हारा क्या, तुम तो हाथ झाड़कर खड़े हो जाओगे सारा खर्च हमारे सिर पड़ेगा। (किसी काम में) हाथ झाड़ना=खूब चालाकी, फुरती या सफाई दिखाना। अच्छी तरह हाथ चलाना। जैसे—लड़ाई में योद्धाओं ने तलवारों के खूब हाथ झाड़े। हाथ झुलाते या हिलाते आना=कुछ भी करके या लेकर न लौटना। खाली हाथ आना। (किसी काम में) हाथ डालना=(क) किसी काम में योग देना, सम्मिलित होना या उसका सम्पादन आरंभ करना। (ख) दखल देना। हस्तक्षेप करना। (किसी पर) हाथ डालना=(क) किसी को मारना-पीटना। (ख) किसी से छेड़-छा़ड़ करना। जैसे—मेले में उसने किसी स्त्री पर हाथ डाला या, इसलिए लोगों ने उसे खूब मारा। हाथ तंग होना=हाथ में व्यय के लिए यथेष्ट धन न होना। हाथ दबना=(क) पास में यथेष्ट धन न होना। (ख) असमंजस या कठिनता में पड़ना। जैसे—अभी तो इस मुकदमे के कारण हमारा हाथ दबा है। हाथ दबाकर खर्च करना=जहाँ तक हो सके, कम खर्च करना। (किसी काम में) हाथ दिखाना=हाथ का कौशल या निपुणता दिखाना। (किसी चिकित्सक को) हाथ दिखाना=रोग का निदान कराने के लिए चिकित्सक से नाडी की परीक्षा कराना। (किसी ज्योतिषी को) हाथ दिखाना=भविष्य या भाग्य का हाल जानने के लिए हथेली की रेखाओं आदि की परीक्षा कराना। (किसी को) हाथ देना=(क) सहारा देना। सहायक होना। (ख) इशारा या संकेत करना। (ग) दे० ‘हाथ मिलाना’। (किसी का) हाथ धरना=दे० नीचे ‘हाथ पकड़ना’। (किसी चीज से) हाथ धोना=(क) गँवा या खो देना। (ख) प्राप्ति की आशा छोड़ देना। हाथ धोकर पीछे पड़ना=पूरी तरह से प्रयत्न में लग जाना। हाथ न रखने देना=(क) बातों में जरा भी न आना। जैसे—उसे कैसे राजी करें, वह हाथ तो रखने ही नहीं देता। (ख) कुछ भी दबाव या नियन्त्रण सहन न करना। जैसे—यह घोड़ा इतना तेज है कि हाथ नहीं रखने देता। (किसी स्त्री का हाथ) न होना=मासिक धर्म या रजस्वला होने के कारण घर-गृहस्थी के काम करने के योग्य न होना। जैसे—आज बहू का हाथ नहीं था, इसलिए माता जी को रसोई बनानी पड़ी। (किसी का) हाथ पकड़ना=(क) किसी को कोई काम करने से रोकना। (ख) किसी के सहायक बनकर उसे अपने आश्रय या शरण में लेना। (ग) पाणि-ग्रहण या विवाह करके पत्नी बनाना। (किसी के) हाथ पड़ना या हाथ में पड़ना=किसी के अधिकार या वश में होना। किसी के पल्ले पड़ना। उदा०—छाड़हु पाखंड मानहु बात नाहिं तो परिहौ जम के हाथ।—कबीर। हाथ पर नाग खेलना=बहुत जोखिम का और विकट काम करना। हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना=खाली बैठे रहना। कुछ न करना। (किसी के) हाथ पर हाथ मारना=प्रतिज्ञा, वचन आदि का पालन करने की दृढ़ता या निश्चय सूचित करने के लिए किसी की हथेली पर अपनी हथेली जोर से पटकना या मारना। (कुछ) हाथ पल्ले न पड़ना=(क) कुछ भी प्राप्ति न होना। (ख) कोई लाभदायक परिणाम या फल न मिलना। (किसी के आगे) हाथ पसारना या फैलाना=कुछ पाने या माँगने के लिए हाथ आगे करना। हाथ पसारे=खाली हाथ। बिना कुछ किए। उदा०—मुट्ठी बाँधे आया है, हाथ पसारे जायगा। (कहा०) (लड़की के) हाथ पीले करना=लड़की का किसी के साथ विवाह कर देना। विशेष—हिंदुओं में यह प्रभा है कि विवाह से एक दो दिन पहले वर और वधू के हाथों और पैरों पर हल्दी और तेल लगा देते हैं। इसी से उक्त मुहा० बना है। मुहा०—हाथ-पैर चलाना, मारना या हिलाना=(क) जीविका-निर्वाह के लिए कोई काम-धंधा करना। (ख) किसी उद्देश्य या कार्य की सिद्धि के लिए प्रयत्न करना। (किसी के आगे) हाथ-पैरे जोड़ना=बहुत दीनतापूर्वक अनुनय-विनय करना। हाथ-पैर जोड़ना=बहुत दीनतापूर्वक अनुनय-विनय करना। हाथ-पैर निकालना=(क) मोटा-ताजा होना। (ख) नियंत्रण, मर्यादा आदि का उल्लंघन करते हुए नये और मनमाने ढंग से आचरण करने लगना। हाथ-पैर करते हुए नये और मनमाने ढंग से आचरण करने लगना। हाथ-पैर पटकना या मारना=बहुत-कुछ परिश्रम या प्रयत्न करना। हाथ-पैर फूल जाना=घबराहट, भय आदि के कारण इतना विचलित होना कि कुछ करते-धरते न बने। हाथ-पैर हारना=(क) प्रयत्न करते-करते विफल होने पर साहस या हिम्मत छोड़ बैठना। (ख) वृद्धावस्था के कारण बहुत शिथिल हो जाना। (किसी के) हाथ बिकना=(क) पूरी तरह से किसी का अनुयायी दास या भक्त होना। उदा०—मीराँ गिरिधर हाथ बिकानी, लोग कहे बिगरी।—मीराँ। (ख) पूरी तरह से किसी के अधीन या वशवर्ती होना। उदा०—अजहूँ माया हाथ बिकानो।—सूर। (किसी चीज पर) हाथ फेरना मारना या साफ करना=चालाकी से या चुपके से कोई चीज कहीं से उड़ा या हथिया लेना। जैसे—किसी के माल पर हाथ फेरना। (किसी व्यक्ति पर) हाथ फेरना=स्नेह पूर्वक किसी का शरीर सहलाना। (किसी के काम में) हाथ बँटाना=किसी के काम में सम्मिलित होना। योग देना। (किसी के आगे) हाथ बाँधे खड़े रहना=हाथ जोड़कर सदा सेवा में उपस्थित रहना। (किसी के) हाथ बिकना=किसी का परम अनुयायी, आज्ञाकारी और दास होना। उदा०—मैं निरगुनिया गुन नहिं जानी, एक धनी के हाथ बिकानी।—मीराँ। हाथ मरोड़ना=हाथ मलना। पछताना। उदा०—अब पछताव दरब जस जोरी। करहु स्वर्ग पर हाथ मरोरी।—जायसी। हाथ मलना=(क) दोनों हथेलियाँ एक दूसरी से मिलाकर उन्हें आपस में मलना या रगड़ना जो किसी बात के लिए दुःखी होने या पछताने का सूचक है। (ख) पछताना। (किसी से) हाथ मिलाना=(क) किसी से भेंट होने पर उसकी हथेली अपने हाथ में लेकर प्रसन्नता और सद्भाव प्रकट करना। (ख) लेन-देन आदि का अथवा और किसी प्रकार का संपर्क या संबंध स्थापित रखना। हाथ मीड़ना=दे० ऊपर ‘हाथ मलना’। उदा०—मीडत हाथ, सीस धुनि ठोरत, रुदन करत नृप पारथ।—सूर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) हाथ में करना=अपने अधिका या वश में करना। (किसी के) हाथ में किसी का हाथ देना=किसी के साथ किसी का विवाह कर देना। हाथ में रँगना=अनुचित रूप से धन प्राप्त करना। (किसी पर) हाथ रखना=ऐसी बात करना, जिससे कोई दोषी या उत्तरदायी बनाया जा सके या कुछ दबाया जा सके। जैसे—आज तुमने भी उस पर अच्छा हाथ रखा, जिससे वह चुप हो गया। (किसी के मुँह पर) हाथ रखना=किसी को बोलने से रोकना। (किसी के) सिर पर हाथ रखना=(क) किसी को अपने आश्रय या संरक्षण में लेना। जैसे—अब आप ही इस अनाथ के सिर पर हाथ रखें। (ख) किसी की कसम खाने के लिए उसका सिर छूना। हाथ रोपना=दे० ऊपर ‘हाथ पसारना’। (किसी काम में) हाथ लगना=कार्य आरंभ होना। जैसे—पुस्तक की छपाई में हाथ लग गया है। (किसी काम में किसा का) हाथ लगना=किसी प्रकार का संपर्क या संबंध स्थापित होना। जैसे—जिस काम में तुम्हारा हाथ लगेगा, वह कभी पूरा न होगा। (किसी चीज में) हाथ लगना=किसी चीज का उपयोग या व्यय आरम्भ होना। जैसे—जब मिठाई में तुम्हारा हाथ लगा है, तब वह काहे को दूसरों के लिए बचेगी। (कुछ) हाथ लगना=(क) किसी प्रकार की प्राप्ति होना। गणित में जोड़ लगाते समय वह संख्या नई गिनती में आना, जो अंत की संख्या लिख लेने पर बाकी रहती है। जैसे—१२ के दो रखे, हाथ लगा १। (एक चीज) हाथ लगना=प्राप्त होना। मिलना। हाथ लगाना=(क) हाथ से किये जानेवाले काम का अभ्यास करना। (क) कोई विकट काम करने से पहले यह देखने के लिए उसका आरंभ या परीक्षण करना कि यह काम हमसे पबरा हो सकेगा या नहीं। (किसी चीज पर या किसी पर) हाथ साफ करना=अच्छी तरह अंत या नाश करना। किसी काम के योग्य न रहने देना या बिल्कुल न रहने देना। हाथों के तोते उड़ जाना=अचानक कोई बहुत बड़ा, अनिष्ट या दुर्घटना होने पर भौचक्का या स्तब्ध हो जाना। (किसी को) हाथों में रखना=बहुत ही आदर या प्रेमपूर्वक अपने पास या साथ रखना। (किसी को) हाथों हाथ लेना=बहुत आदर और सम्मानपूर्वक आवभगत या स्वागत-सत्कार करना। २. लम्बाई की एक नाप जो मनुष्य की कोहनी से लेकर पंजे के छोर तक मानी जाती है। चौबीस अंगुल का मान। (क्यूबिट) जैसे—दस हाथ की धोती। बीस हाथ लंबा बाँस। मुहा०—हाथ भर का कलेजा होना=(क) बहुत अधिक साहसी होना। (ख) बहुत अधिक प्रसन्नता होना। हाथों कलेजा उछलना=(क) कलेजे में बहुत धडकन होना। (ख) बहुत अधिक प्रसन्नता होना। ३. किसी कार्य के संचालन में होनेवाला किसी का अंश या प्रेरणा। जैसे—इस मुकदमे में उनका भी कुछ हाथ है। ४. हाथ से किया जाने वाला कोई काम या उसे करने का कोई खास ढंग। जैसे—तलवार का हाथ, लिखावट का हाथ। ५. हाथ से खेले जानेवाले खेलों में हर खिलाड़ी के खेलने की बारी। दाँव। जैसे—तुम तो अपना हाथ चल चुके, अब हमारा हाथ है। क्रि० प्र०—चलना। मुहा०—हत्थ मारना=दाँव या बाजी जीतना। ६. आदि से अन्त तक कोई ऐसा पूरा खेल जो एक बार में हाथ से खेला जाता हो। जैसे—आओ, हमसे भी दो हाथ खेल लो। ७. किसी कार्यालय के कार्यकर्ता। जैसे—आज-कल हमारे यहाँ चार हाथ कम हो गये हैं। ८. औजार या हथियार का दस्ता। मुठिया। हत्था
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