"The grass is always greener on the other side of the hill." (दूर के ढोल सुहावने)
घास हमेशा दूर से हरी दिखती है। पर जब हम उसके करीब जाते हैं तो हमें एहसास होता है कि वास्तव में घास उतनी हरी नहीं है जितना दूर से दिखाई दे रही थी। इस कहावत का भी यही तातपर्य है कि हमें अपनी वस्तु की तुलना दूसरों की वस्तुओं से नहीं करनी चाहिए। हमें अपनी वस्तु या परिस्थिति से ही संतुष्ट रहना चाहिए। क्यूंकि दूसरे की वस्तु या दूसरे की परिस्थिति हमें हमेशा हमारी वस्तु या परिस्थति से बेहतर लगती है परन्तु जब हम उनकी जगह पर होते हैं तब वास्तविकता का अहसास होता है। तब हम उनकी समस्याओं और कठिनाइयों को समझ पाते हैं। इसलिए हिंदी में कहा गया है - दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।
People tend to want whatever they don't have.