As you sow, so shall you reap. (जैसा बोओगे वैसा काटोगे।)
इस कहावत का हमारे जीवन में बड़ा महत्त्व है। इसका अर्थ है - जैसे आपके कार्य होंगे, वैसा ही आपको परिणाम मिलेगा। अच्छे काम का परिणाम भी अच्छा होगा और बुरे का परिणाम बुरा ही होगा। A result is the natural fruit of man’s action.
जीवन ख़ुशी या दुःख, व्यक्ति के कार्यों पर निर्भर करता है। अगर आप गेहूं बोते हो, तो आपको गेहूं की फसल ही मिलेगी, चावल की नहीं। इसलिए अपनी सफलता और विफलता के लिए वयक्ति खुद ही जिम्मेदार होता है। हो सकता है की अच्छे कार्य का परिणाम हमें तुरंत ना मिले पर हमारी अंतरात्मा को ख़ुशी मिलती है और भविष्य में इसका फल जरूर मिलेगा।
In the golden period of youth, if you sow the seeds of idleness, bad habits, you will reap nothing, but misery, hardship and humiliation: but if you sow the seeds of industry, patience, strong will, life will be bright and fruitful.
यह कहावत बाइबिल से ली गयी है। गीता और कुरान में भी इसी बात पर ज़ोर दिया है।