Beauty lies in the eyes of beholder. (सौंदर्य देखने वाले की आँखों में हैं।/ सुंदरता देखने वाले की नजर में है।)
"Beauty in things exists merely in the mind which contemplates them." सौन्दर्य की कोई परिभाषा नहीं है। The concept of beauty has evolved from era to era. यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसे कब और कौन सी चीज़ (या व्यक्ति) पसंद आए। यह पूर्णतयः व्यक्ति की चेतना (senses) और चिंतन (mind) पर निर्भर है। हो सकता है जो एक व्यक्ति के लिए सुन्दर हो अन्य व्यक्ति के लिए ना हो। सुंदरता वह नहीं है जो सिर्फ आँखों को प्रसन्न करें, बल्कि अन्य इंद्रियों और मन को भी प्रसन्न करें, वहीँ सुंदरता है। कोई भी व्यक्ति या वस्तु अपने आप में सुन्दर या बदसूरत (beautiful or ugly) नहीं होती; बल्कि उनकी सुंदरता या कुरूपता जो लोग उन्हें देख रहे हैं, उनके सोच में होती है - "सुंदरता देखने वाले की नजर में है"। यह कहना उचित है कि दुनिया की हर वस्तु और व्यक्ति सुन्दर है पर हर कोई उस सुंदरता को देख नहीं पाता। Every individual has different opinions. इसलिए कहा गया है - Beauty is subjective. (सौंदर्य व्यक्तिगत है।)
Margaret Wolfe Hungerford (Hamilton) को व्यापक रूप से इस कहावत को प्रचलित करने का श्रेय जाता है। पर वास्तविकता में यह Plato के एक ब्यान की संक्षिप्त व्याख्या है।