Great cry little wool. (ऊँची दुकान फीके पकवान/ नाम बड़े और दर्शन छोटे।)
This expression comes from the idea of shearing (ऊन कतरना) pigs where the result could be expected to be great cry and little wool. (जब सुअरों के बाल काटे जाते हैं तो उम्मीद तो बहुत सारे ऊन की होती है पर बहुत कम ही मिलता है।)
बहुत बार हम केवल बाहरी दिखावा देख कर उस व्यक्ति, जगह या वस्तु का अनुमान लगाते हैं। पर वास्तविकता दिखावे से बिलकुल अलग होती है। जरूरी नहीं है कि नाम के अनुरूप ही गुण हो। आजकल सब online होता है। बाहर खाना खाने से पहले उस होटल के विषय में सब कुछ online देख लिया जाता है। परन्तु जाने पर वहां का ambience, service और food बिल्कुल ही विपरीत मिलती है। इसे ही कहते हैं "ऊँची दुकान फीके पकवान।" उस विषय के बारे में बहुत बातें होती है पर होता कुछ भी नहीं है। A lot of fuss about nothing - देखने में अच्छा पर असलियत में सामान्य होता है।